क्या कहता है?
- rrichaasrivastava
- Jun 15, 2022
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हर वॉशरूम य स्नानागार कुछ कहता है- क्या कहता है?
अधिकतर लोगों को मौलिक विचार बाथरूम में ही आते है। बाथरूम में प्राय:लोग खुद के विचारों में गुम हो जाया करते हैं। एक बार मैं भी गुम होने ही वाला था कि मेरी नज़र बाथरूम में चारों ओर घूमने लगी। लगा बाथरूम मुझसे कुछ कहना चाहता है। मैने ध्यान दिया कुछ अस्पष्ट सी ध्वनि मेरे कानों में पड़ी- ‘यहां सभी अपनी दुनिया में खोने आते हैं। मेरी कोई सुनता ही नही।’
मैने कहा,’बोल भाई बाथरूम। तुझे क्या कहना है’।
जो उसने कहा और मैंने समझा निम्न पंक्तियों में काव्य बद्ध करने की मैने चेष्टा की है। सभी बाथरूम प्रेमियों को समर्पित है।
जो भी आवें, शरण में मेरी,
हल्का तन मन मैं कर देता।
दग्ध हुए तन की ज्वाला को,
शीतलता में बदली करता।।
दु:खी जन मेरी शरण को आवें,
लावें अपने साथ अशुद्धि।
शान्त मुख कर उन्हें पठाऊं,
करके उनके तन की शुद्धि।।
टेलीफ़ोन सैकड़ों आते हैं,
साहब घर में घबराते है।
मेरी शरण में आने पर ही,
वह चिन्ता से बच जाते हैं।।
मुझसे कोई करे न परदा,
बेधड़क सभी वस्त्र को त्यागें।
माँ प्रकृति के इक पुकार पर,
मेरी खोज में दुनिया भागे।।
कवित्त मन में भर देता हूँ ,
जिह्वा चंचल कर देता हूँ।
जब मेरे पास हैं रहते,
गीत मैं मुखरित कर देता हूँ।।
बड़े बड़े वैज्ञानिक हमसे,
अाविष्कार की भीख माँगते।
‘यूरेका’ सी बात बोल कर,
आर्कमिडीज बन कर हैं जाते।।
अगर कभी मन में आजाये,
खुद को अपना नाच दिखाएँ।
रिस्क न लेन बाथरूम में,
वरना तारे वह दिखलाए।।
बाहर नज़र भले ही फिसले,
बाथरूम में नज़र न फिसले।
चूके कहीं नज़र जो भइया,
बाथरूम फिर नाहीं बख्शे।।
बाथरूम का नियम कठिन है,
संविधान के ऊपर चलता।
नर मादा को एक रास्ते,
अपने तक आने नहीं देता।।
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