हिन्दू धर्म में कुआँ , तालाब व नदियों की पूजा की वैज्ञानिकता
- Vinai Srivastava
- Mar 20, 2022
- 3 min read
Updated: Mar 26, 2022
मैकाले की शिक्षा पद्धति ने हम सब को हिन्दू रीति रिवाजों को ढकोसला, ढोंग, पोंगापंथी कहने और पाश्चात्य मानसिकता के पीछे पीछे चलने की एक स्वाभाविक मानसिक ग़ुलामी प्रदान की है। हम अपने पूर्वजों को पिछड़ा हुआ और तथाकथित आधुनिकता को सर्वोपरि मान चुके है। यह क्या है -पहाड़ों की, नदी , तालाब , कुआँ बावड़ी की पूजा,आरती करना जैसा गंगा,सरयू नर्मदा की आरती पूजा-सब बकवास है?
आज हम इस विषय पर थोड़ा गहराई से विचार करेंगे और कैसे पूरा विश्व इस प्रकार की पूजा प्रार्थना की वैज्ञानिकता आधुनिक परिवेश में स्वीकार करने लगा है।
हम कई बार पढ़ चुके कि अमुक ऋषि ने वरदान दे दिया य शाप दे दिया य प्रार्थना की और प्रार्थना य शाप फलीभूत हो गया। शायद हम विश्वास व अविश्वास के झूले में आज भी झूल रहे हैं।
अभी हाल में जापान के विश्व विख्यात डा० मसारू इमोटो ( Masaru Emoto : जन्म1943 मृत्यु 2014) ने एक वैज्ञानिक प्रयोग किया। एक तरह के तीन बर्तन लिया। उसमें बराबर मात्रा में चावल और पानी रखा। तीनों को एक ही बाह्य परिस्थिति में रखा। एक बर्तन के चावल को बहुत प्रेम भाव से अच्छी बातें , सकारात्मक बातें कहते हुए धन्यवाद दिया गया। दूसरे बर्तन के चावल को पूरे क्रोध में भरकर , नकारात्मक बातें कहते गाली दी गई। तीसरे बर्तन के चावल को कुछ नहीं कहा गया। यह क्रिया 30दिनों तक बराबर किया गया। जिस भीगे चावल को सकारात्मक बातें कही गई वह सफ़ेद चमकवाला रहा। जिसे नकारात्मक बातें कही गई वह चावल काला पड़ गया तेज़ हीन होगया। उन्होंने व्यक्ति की भावनाओं का जल की अणु संरचना पर असर Magnetic Resonance Analysis और High Speed Photographic के तरीक़े को अपना कर किया। उन्होंने पाया कि अच्छी भावनाओं की तरंगों से एक Toxic पानी कीअणु संरचना एक साफ़ स्वच्छ पानी की अणु संरचना से मेल खाने लगी। Reverend Kato Hoki जो बौद्ध धर्म के मन्दिर Jyuhoin Japan के मुख्य पुजारी थे, ने Fujiwara Dam,Japan में एक घन्टे तक प्रेम के अंतरंग भाव से ओतप्रोत होकर प्रार्थना की। प्रार्थना से पहले और प्रार्थना के बाद के Fujiwara Dam के पानी के अणु संरचना का परीक्षण किया गया। प्रार्थना के बाद दूषित पानी में स्वच्छ पानी के अणु संरचना प्राप्त होने लगे। उन्होंने सिद्ध किया कि मानवीय भाव तरंगों का जल में प्रभाव परिलक्षित है।यह सिद्ध करता है जल शक्ति को मानव की भावना जो तन और मन के स्वास्थ्य के अनुरूप हो तैयार किया जा सकता है। यह वैज्ञानिकता है गंगा आरती ,सरयू आरती इत्यादि की। डा० मसारू इमोटो ने कई पुस्तकें लिखी इन विषयों पर कुछ निम्न हैं-
The Hidden Messages in water
Water knows the Answer
The True Power Of Water
The secret life of water
The Miracle of Water
The Healing Power Of Water
Love thyself उन्होंने सिद्ध किया कि जल की स्वंय की चेतना( Conciousness /awareness)होती है। जहाँ चेतना है वहाँ स्मृति(Memory)है बृद्धि है, गति है। जैसे पेड़ों में चेतना होती है तो उनके रेशे रेशे मे स्मृति होती है; कितनी बृद्धि तक जाना है ,कहाँ से शाखाएँ निकलनी है,कहाँ से पत्तियाँ विकसित होनी है इत्यादि इत्यादि। जल की चेतना में ध्वनि के माध्यम से विशेष स्मृति रोपित की जा सकती जो कि मानव द्वारा ग्रहण करने पर मानव समाज में स्वास्थ्य और प्रेम के वातावरण का निर्माण करने में सक्षम हो। विशेष ध्वनि तरंगें जिससे प्रेम,स्वस्थ विचार, स्वास्थ्य शक्ति (healing energy)का विकास हो विभिन्न यंत्रों , मंत्रों द्वारा जल में स्मृति के रूप में विकसित करके किसी को भी दिया जा सकता है। एक आस्ट्रियन इंजीनियर श्री बर्नार्ड रथेज़र (Bernard Ratheiser) ने कई यंत्र बनाए जो जल के अणु संरचना की तरंगों को जीव धारियों की ऊर्जा शक्ति की तरंगों से मिलती जुलती बना सकती है। प्राचीन युग में संभवत: सिद्ध ऋषियों में अंजुलि में जल भरकर उसे अभिमंत्रित कर किसी को भी वरदान य अभिशाप देने की शक्ति थी।
हमारे शरीर में जल विभिन्न विभिन्न अंगो में विभिन्न अनुपात में उपस्थित है। शरीर की असहजता(dis-ease) य रोग को विशेष ध्वनि(यंत्र) य मंत्र द्वारा स्वस्थ (heal) किया जासकता है। विशेष ध्वनि यंत्रों की चर्चा मैने अपने पिछले लेख —‘हिन्दू मन्दिरों में अलग अलग नाद उत्पन्न करने वाले घन्टों की वैज्ञानिकता-‘में की थी। आजकल Sound Healing का प्रयोग वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप मे किया जा रहा है जिसकी चर्चा मैने पिछले लेख में थी। मैंने स्वयं इसका शारीरिक व आध्यात्मिक अनुभव किया था जब मै Sound Healing Intensive जो कि श्री ब्रह्म प्रकाश गौड़ ( फोन न० +91 8879010000) द्वारा संचालित था मे उपस्थित रहा था। पिछले लेख मे इसका विस्तार मैने दिया था।